ओमपुलियूर मंदिर, तमिलनाडु
ओमपुलियूर मंदिर, व्याघ्रपदर से जुड़े पांच पुलों में से एक है। कावेरी नदी के उत्तर में चोल नाडु में स्थित तेवरा स्टेलमों की श्रृंखला में यह 31 वाँ स्थान है।
किंवदंतियाँ: शिव दक्षिणामूर्ति ने प्रणव उपदेशम को पार्वती के यहाँ प्रकट किया, और इसीलिए इसका नाम प्रणव्यावग्रहपुरम् पड़ा। ओममपुलियूर नाम इस किंवदंती (ओम आम पुलियूर) से लिया गया है। एक शिकारी जो विल्व वृक्ष पर चढ़ गया था क्योंकि वह एक बाघ द्वारा पीछा किया जा रहा था यहाँ मोक्ष प्राप्त किया। व्यागप्रदार (बाघ के पंजे और पैरों वाला संत) की पूजा यहाँ की जाती है, जैसे कि पेरम्पुलियुर, इरुकत्तमपुलियूर, पातिरिप्पुलियुर और पेरुम्परापुलियुर (चिदंबरम) में की जाती है।
मंदिर:सामने मण्डपम में स्थित निराला पुरानम को दर्शाने वाली छवियाँ देखी जाती हैं। इनमें से एक में शिव को विष्णु का आशीर्वाद चक्रैकुम के साथ जबकि दूसरे में पांच पुलों का चित्रण है। नटराज की एक पत्थर की प्रतिमा गर्भगृह में दक्षिणामूर्ति के लिए आरक्षित है, जबकि दक्षिणामूर्ति ने भव्य सभा पर कब्जा कर लिया है, जो आमतौर पर नटराजार के लिए निर्धारित है। यहां शिव को प्रणव व्याघ्रपूरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
त्यौहार: थाई पोसम, मासी मागम, नवरात्रि और शिवरात्रि यहाँ मनाए जाने वाले वार्षिक त्यौहार हैं।