Child-friendly Police Stations क्या हैं?

“चाइल्ड-फ्रेंडली” पुलिस स्टेशन को हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार पुणे में स्थापित किया गया। यह पुलिस स्टेशन बच्चों के बीच चरित्र निर्माण की दिशा में काम करेगा और यह भी धारणा बनाएगा कि पुलिस दुश्मन नहीं बल्कि लोगों के दोस्त हैं। इसका उद्देश्य किशोर अपराधों को रोकना और बाल सुधार को सुनिश्चित करना है।

विशेषताऐं

  • चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन जरूरतमंद बच्चों के पुनर्वास में निवारक दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
  • इसमें बच्चों के लिए डिज़ाइन किया गया कमरा है, जहाँ वे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए पुलिस स्टेशन आ सकते हैं।
  • चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जो बच्चों को बिना किसी डर के मामलों और अपराधों को रिपोर्ट करने में सक्षम बनाएगा।
  • यह उन बच्चों की भी मदद करेगा जिन्होंने अपराध किए हैं।ऐसा इसलिए है क्योंकि चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन यह सुनिश्चित करेगा कि आसपास के समुदायों में आदतन अपराधी, आपराधिक गतिविधियों में शामिल न हों। दूसरी ओर, ये अपराधी, अपराध को रोकने में पुलिस की मदद करेंगे।
  • ‘द होप फ़ॉर चिल्ड्रन फ़ाउंडेशन’ पुलिस को चाइल्ड फ्रेंडली मैकेनिज्म पर प्रशिक्षित करेगी।
  • जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का अनुपालन करते हुए चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन स्थापित किया गया है।

किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act)

  • किशोर न्याय अधिनियम हर जिले में किशोर न्याय बोर्ड स्थापित करना अनिवार्य बनाता है।
  • इस अधिनियम के तहत Central Adoption Resource Authority को वैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया था।
  • यह अधिनियम गैर-सरकारी संगठनों या राज्य सरकारों द्वारा संचालित चाइल्ड केयर संस्थानों को अधिनियम के तहत पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है।

किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board)

यह एक न्यायिक निकाय है, जिसमें अपराध के आरोपी बच्चों को लाया जाता है। यह किशोरों के लिए एक अलग अदालत है। इसमें एक न्यायिक मजिस्ट्रेट और दो सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होते हैं।

बाल कल्याण समिति

किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत, राज्य सरकार को इन समितियों को जिला स्तर पर स्थापित करना चाहिए। बाल कल्याण समिति के पास बच्चों के संरक्षण, पुनर्वास के लिए मामलों को निपटाने की शक्ति होती है।

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में हालिया संशोधन

हाल ही में एक अनाथ या परित्यक्त बच्चे को गोद लेने के लिए एक संगठित प्रणाली प्रदान करने के लिए इस अधिनियम में संशोधन किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार, 15 से 18 वर्ष की आयु के नाबालिगों को जघन्य अपराधों के मामले में वयस्क माना जायेगा।

किशोर कौन है?

भारत में एक किशोर 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति है।

भारतीय कानूनों के अनुसार, सात साल से कम उम्र के बच्चे को किसी भी अपराध के लिए किसी भी कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

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