‘Climate of India during 2021’ रिपोर्ट जारी की गई
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 21 जनवरी, 2022 को अपनी “Climate of India during 2021” रिपोर्ट प्रकाशित की।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 भारत में पांचवां सबसे गर्म वर्ष था, जब से भारत में 1901 में देशव्यापी रिकॉर्ड शुरू हुआ था।
- भारत ने 2021 में चरम मौसम की घटनाओं (extreme weather events) के कारण 1,750 लोगों की जान गंवाई।
- 350 मौतों के साथ महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्य था।
- चरम मौसम की घटनाओं में, बिजली और गरज के साथ सबसे अधिक 787 लोगों की जान गई, जिसके बाद बाढ़, भारी बारिश और भूस्खलन से 759 लोगों की मौत हुई।
- 2021 में विभिन्न राज्यों में 172 मौतों के लिए चक्रवात जिम्मेदार थे।
वार्मिंग घटना (Warming Phenomena)
वार्मिंग की घटनाओं पर, इस रिपोर्ट में पाया गया है कि, भारत में 15 सबसे गर्म वर्षों में से 11, पिछले 15 वर्षों यानी 2007 से 2021 के दौरान थे। 2016 के दौरान उच्चतम गर्मी देखी गई। उस वर्ष में “लंबी अवधि के औसत” (Long Period Average – LPA) से ऊपर 0.71 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग दर्ज की गई थी।
औसत तापमान (Mean Temperature)
भारत में, 2021 के दौरान वार्षिक औसत भूमि सतह हवा का तापमान (annual mean land surface air temperature) LPA से 0.44 डिग्री सेल्सियस अधिक था। +0.78 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान विसंगतियों के साथ सर्दी (जनवरी से फरवरी) और मानसून के बाद (अक्टूबर से दिसंबर) +0.42 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान विसंगतियों के साथ मुख्य रूप से इस वार्मिंग में योगदान दिया। पूर्व-मानसून (मार्च से मई) और मानसून (जून से सितंबर) जैसे अन्य मौसमों के दौरान अखिल भारतीय औसत तापमान भी क्रमशः +0.35 डिग्री सेल्सियस और +0.34 डिग्री सेल्सियस की औसत तापमान विसंगतियों के साथ “सामान्य से ऊपर” दर्ज किया गया।
1901-2021 के दौरान औसत तापमान
1901-2021 के दौरान भारत में वार्षिक औसत तापमान में प्रति 100 वर्षों में 0.63 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखी गई। भारत का औसत सतही तापमान वैश्विक औसत सतह के तापमान में वृद्धि के अनुरूप प्रतीत होता है।
वार्षिक वर्षा
1961-2010 की अवधि के आधार पर, पूरे भारत में 2021 की वार्षिक वर्षा इसके LPA का 105% था। पूरे भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम की वर्षा LPA के 99% पर ‘सामान्य’ थी, जबकि पूर्वोत्तर या मानसून के बाद के मौसम (अक्टूबर-दिसंबर) में LPA के 144% पर बारिश ‘सामान्य से अधिक’ थी।
मानकीकृत वर्षा सूचकांक (Standardized Precipitation Index – SPI)
IMD ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में मानकीकृत वर्षा सूचकांक (Standardized Precipitation Index – SPI) भी संकलित किया। SPI का उपयोग वर्षा के आधार पर सूखे की स्थिति की निगरानी के लिए किया जाता है। सूखे के लिए सूचकांक नकारात्मक है जबकि गीली स्थितियों के लिए सकारात्मक है। 2021 के पिछले बारह महीनों में संचयी SPI का मान अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली आदि के कुछ हिस्सों में “बेहद गीली – गंभीर रूप से गीली स्थिति” (extremely wet – severely wet conditions) पर प्रकाश डालता है। अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर आदि में ‘अत्यधिक शुष्क-गंभीर रूप से शुष्क स्थिति’ देखी गई।
Categories: पर्यावरण एवं पारिस्थिकी करेंट अफेयर्स
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