ज्ञानकोश

प्राचीन भारतीय इतिहास : 10 – भारत में वर्ण व्यवस्था और इसका उद्भव

भारत में वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत समाज को चार भागों में बाँटा गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। प्रारम्भ में वर्ण व्यवस्था कर्म-आधारित थी जो उत्तर वैदिक काल के बाद जन्म-आधारित हो गयी। ब्राह्मण– पुजारी, विद्वान, शिक्षक, कवि, लेखक आदि। क्षत्रिय– योध्दा, प्रशासक, राजा। वैश्य– कृषक, व्यापारी शूद्र– सेवक, मजदूर आदि। उद्भव सर्वप्रथम सिन्धु

प्राचीन भारतीय इतिहास : 9 – उत्तर वैदिक कालीन साहित्य

उत्तर वैदिक काल में अंतिम तीन वेद यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद की रचना की गयी। इसके अलावा उपनिषद, पुराण, अन्य ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक, वेदांग की भी रचना की गयी। सामवेद सामवेद में 1,875 ऋचाएं हैं, इसमें 75 सूक्तों को छोड़कर शेष ऋग्वेद से लिए गए हैं। यह भारतीय संगीतशास्त्र की सबसे पुरानी पुस्तक है। सामवेद का

प्राचीन भारतीय इतिहास : 8 – उत्तर वैदिक काल- समाज, अर्थव्यवस्था, राजनीति और धर्म

उत्तर वैदिक काल में राजनीतिक स्थिति उत्तर वैदिक काल में राजनीतिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन आये।उत्तर वैदिक काल में जनजातीय व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्त होने लगी।इस दौरान कई क्षेत्रों में छोटे-छोटे राज्य अस्तित्व में आने लगे। जन का स्थान जनपद द्वारा लिया गया। अब क्षेत्रों पर आधिपत्य के लिए युद्ध आरम्भ हुए, कई कबीले व राज्यों

प्राचीन भारतीय इतिहास : 7 – ऋग्वैदिक कालीन साहित्य

ऋग्वेद विश्व के इतिहास की सबसे पुरानी पुस्तक है। ऋग्वेद की रचना ऋग्वैदिक काल में हुई बाकी तीनों वेद यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद की रचना उत्तर वैदिक काल में हुई। वेदांग, पुराण, उप-पुराण, आरण्यक, उपनिषद, आदि की रचना भी उत्तर वैदिक काल में ही हुई। ऋग्वेद ऋग्वेद विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है, इसमें 10 मंडल और 

प्राचीन भारतीय इतिहास : 6 – ऋग्वैदिक काल का रहन सहन और अर्थव्यवस्था

राजनीतिक स्थिति ऋग्वेदिक राजनितिक व्यवस्था काफी सरल थी, यह कबीलाई व्यवस्था थी। आर्य राज्यों की बजाय कबीलों में संगठित थे। इसमें बड़े राज्य का निर्माण दृष्टिगोचर नहीं होता, यह एक जनजातीय सैन्य लोकतंत्र था। इसकी शक्ति का मुख्य स्त्रोत कबीले की परिषद् थी। प्रशासन की बाग़डोर कबीले के मुखिया के हाथ में होती थी। कबीले