India – Middle East – Europe Economic Corridor (IMEC) क्या है?

नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के मौके पर भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी और इटली सहित कई देशों ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह कदम चीन की BRI परियोजनाओं से जुड़े अस्थिर ऋण और भूराजनीतिक निहितार्थों के बारे में चिंताओं के जवाब में उठाया गया है।

मुख्य बिंदु

IMEC की कल्पना एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए रेलवे लाइनों और समुद्री मार्गों से युक्त परिवहन गलियारों के एक नेटवर्क के रूप में की गई है। यह पहल Partnership for Global Infrastructure Investment (PGII) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी निवेश के माध्यम से विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना है, जो BRI का विकल्प पेश करता है।

यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से कैसे भिन्न है?

PGII की स्थापना चीन के BRI से संबंधित चिंताओं की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी, जिसमें विभिन्न देशों में ऋण प्रदान करना और बुनियादी ढांचे का विकास शामिल था। आलोचकों ने तर्क दिया कि इन परियोजनाओं के कारण अक्सर अस्थिर ऋण और भू-राजनीतिक प्रभाव पैदा होता है।

PGII, जिसमें G7 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं, का लक्ष्य सार्वजनिक और निजी निवेश के संयोजन के माध्यम से विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना है। यह पारदर्शिता, जलवायु-लचीला बुनियादी ढांचे, लैंगिक समानता और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देता है।

भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विरोध क्यों किया?

भारत ने BRI का विरोध किया है क्योंकि इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) शामिल था, जो उस क्षेत्र से होकर गुजरता था जो भारत का है लेकिन वह पाकिस्तानी नियंत्रण में था। भारत ने इसे अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में देखा।

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