“Indo + Caribbean: The creation of a culture” प्रदर्शनी का आयोजन किया गया

लंदन डॉकलैंड्स संग्रहालय (Museum of London Docklands) 2003 में स्थापित किया गया था, जिसमें टेम्स नदी के इतिहास, लंदन के बंदरगाह के विकास और अटलांटिक दास व्यापार के ऐतिहासिक संबंधों को उजागर करने का मुख्य फोकस था। संग्रहालय में प्रदर्शनी और कार्यक्रम हैं जो क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विविधता पर फोकस करते हैं। आगामी प्रदर्शनी, Indo + Caribbean: The creation of a culture, का अनावरण मई 2023 में किया जाएगा।

Indo + Caribbean: The creation of a culture

Indo + Caribbean: The creation of a culture का उद्देश्य ब्रिटिश कैरेबियन में भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के कम प्रतिनिधित्व वाले इतिहास का पता लगाने और आज लंदन में मौजूद इंडो-कैरेबियन संस्कृति पर प्रकाश डालने के लिए है। यह प्रदर्शनी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह पहली बार है कि ब्रिटिश संग्रहालय में एक प्रमुख प्रदर्शनी में भारत-कैरेबियाई समुदाय के इतिहास पर फोकस गया है।

भारतीय बंधुआ मजदूरों का इतिहास

1800 के दशक में कैरिबियाई द्वीपों में सस्ते श्रम की कमी 1807 में दास व्यापार के उन्मूलन और 1833 के दासता उन्मूलन अधिनियम के कारण हुई थी। इसके परिणामस्वरूप भारतीय गिरमिटिया मजदूरों की भर्ती हुई, जिसमें 1838-1917 के बीच लगभग 4,50,000 भारतीयों को कैरेबियाई द्वीपों में ले जाया गया। कैरेबियन में तीन से पांच साल तक काम करने के बदले में उन्हें परिवहन, एक न्यूनतम मजदूरी और कुछ बुनियादी प्रावधान प्राप्त हुए। महात्मा गांधी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के दबाव के बाद 1917 में ब्रिटिश भारत में अनुबंधित दासता पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था।

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