बंगाल टेनेंसी एक्ट
30 दिसंबर 1884 को लॉर्ड डफरिन ने पिछले प्रशासन से विरासत में मिले बंगाल टेनेंसी बिल पर विचार-विमर्श किया। 1859 के अधिनियम के पुनरीक्षण के रूप में बिल ने ‘रैयत’ या किरायेदार कृषक के अधिभोग अधिकारों की परिभाषा को संशोधित किया, जो पहले बारह वर्षों में निर्धारित किया गया था। संशोधित टेनेंसी बिल ने जमीन