अँग्रेजी शिक्षा और भारतीय पुनर्जागरण
अठारहवीं शताब्दी ने बौद्धिक रूप से स्थिर समाज का प्रतिनिधित्व किया। इस समय तक अंग्रेज अपनी औपनिवेशिक नीति को मजबूत कर चुके थे। शिक्षा की पारंपरिक प्रणाली ने राजनीतिक आक्षेप और अवधि की अस्थिरता के दौरान बहुत नुकसान उठाया था। वैज्ञानिक जांच, संदेहवाद, मानवतावाद और आक्रामक भौतिकवाद की नई पुनर्जागरण भावना, जो तेजी से पश्चिम