द्रविड़ शैली
दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली की शास्त्रीय परंपरा का विकास 850 से 1100 ई में पल्लव वंश से गंगाई-कोंड चोलपुरम के चोलों तक हुआ। द्रविड़ शैली की दो सामान्य विशेषताएँ यह थीं कि इस शैली के मंदिरों के गर्भगृह में चार साइड थीं और इन मंदिरों की मीनार पिरामिडनुमा थी। द्रविड़ शैली के मंदिर कई