जोरासांको ठाकुरबारी
जोरासांको ठाकुरबारी का निर्माण 18 वीं शताब्दी में रवींद्रनाथ टैगोर के दादा, द्वारकानाथ टैगोर द्वारा किया गया था। रवींद्रनाथ टैगोर ने अपना पूरा बचपन इसी घर में गुजारा और 7 अगस्त, 1941 तक अपने स्वर्गवास वहीं रहे। जोरासांको ठाकुरबारी का नामकरण जोरासांको ठाकुरबाड़ी ने इसका नाम जुड़वा `शंकर` या शिव मंदिरों से प्राप्त किया, जिन्हें