RBI हुआ Network for Greening the Financial System-NGFS में शामिल
भारतीय रिजर्व बैंक हाल ही में Network for Greening the Financial System (NGFS) में शामिल हो गया है। इस सिस्टम में शामिल होकर, RBI वित्तीय क्षेत्र में वैश्विक जलवायु जोखिम प्रबंधन से जानकारी प्राप्त करेगा और इसमें योगदान भी देगा। भारतीय रिजर्व बैंक अपने वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर सतत अर्थव्यवस्था (sustainable economy) की दिशा में परिवर्तन का समर्थन करेगा।
Greening the Financial System
- इस सिस्टम से 83 केंद्रीय बैंक जुड़े हुए हैं। इनमें से 75 सदस्य हैं और 13 पर्यवेक्षक हैं।
- इस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य ग्रीन फाइनेंस (हरित वित्त) को बढ़ाना और तेज करना है।
- 2017 में पेरिस में आयोजितवन प्लैनेट समिट (One Planet Summit) के दौरान इसकी घोषणा की गई थी।
- इस पहल को 8 केंद्रीय बैंकों ने बैंक डी फ्रांस (Banque de France) के नेतृत्व में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य वित्तीय क्षेत्र में सदस्यों की नीतियों और जलवायु जोखिम लचीलापन डिजाइन करने में मदद करना है।
NGFS के वर्तमान कार्य
NGFS वर्तमान में निम्नलिखित काम कर रहा है:
- माइक्रोप्रूडेंशियल या पर्यवेक्षण: सिंगापुर द्वारा किया गया
- Macrofinacial: बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा
- ग्रीन फाइनेंस को आगे बढ़ाना: डॉयचे बुंडेसबैंक (जर्मनी) द्वारा
- डेटा अंतराल को समाप्त करना: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
- शोध: चीन
पृष्ठभूमि
- विश्व आर्थिक मंचकी वैश्विक जोखिम रिपोर्ट, 2021 के अनुसार, संक्रामक रोगों और जलवायु कार्रवाई की विफलता को सबसे बड़ा जोखिम माना जाता है।
- विश्व आर्थिक फोरम के मुताबिक, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर में सालाना करीब 5 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत होती है। वर्तमान में दुनिया में केवल 100 बिलियन अमरीकी डालर का सालाना निवेश हो रहा है।
- विश्व बैंक के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 2050 तक 1,178 बिलियन अमरीकी डालर का नुकसान होगा।
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