RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) क्या है?
1 जनवरी, 2022 से क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी लागू हो गई है।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP – Regional Comprehensive Economic Partnership)
RCEP ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चीन, कंबोडिया, जापान, इंडोनेशिया, लाओस, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस और वियतनाम के एशिया-प्रशांत देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। भारत और अमेरिका RCEP के सदस्य नहीं हैं। 15-सदस्यीय s समूह में दुनिया की आबादी का 30% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30% हिस्सा है। इस प्रकार, यह इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक है।
RCEP के उद्देश्य
RCEP के लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रगति करने में मदद करने के लिए कम टैरिफ, सेवाओं में व्यापार को खोलना और निवेश को बढ़ावा देना।
- कंपनियों के लिए लागत और समय कम करने में मदद करना।
भारत RCEP का हिस्सा क्यों नहीं है?
भारत RCEP में शामिल नहीं हुआ, यह चिंता जताते हुए कि, यह सौदा चीनी सामानों के लिए इसे खोल देगा, और इस तरह चीन के साथ व्यापार संतुलन (trade balance) बढ़ जायेगा।
RCEP का इतिहास
RCEP सौदे पर बातचीत 2012 में शुरू हुई थी। भारत भी इस वार्ता का हिस्सा था। हालांकि, भारत 2019 में कम टैरिफ पर चिंताओं के कारण पीछे हट गया। भारत से पहले, अमेरिका भी इससे बाहर हो गया था।
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