ULPIN (Unique Land Parcel Identification Number) क्या है?
भारत सरकार ने हाल ही में 10 राज्यों में विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number – ULPIN) योजना शुरू की है। इस प्रणाली को मार्च 2022 तक देश में लागू किया जायेगा।
भूमि पार्सल, भूमि के बड़े क्षेत्र का एक हिस्सा है।
ULPIN क्या है?
- ULPIN को “भूमि के लिए आधार” कहा जा रहा है।
- ULPIN एक 14 अंकों की अल्फा न्यूमेरिक आईडी है।
- इस नंबर का उपयोग हर सर्वेक्षण किए गए भूमि के पार्सल की पहचान करने के लिए किया जाएगा।
- पहचान संख्या को भूमि पार्सल के अक्षांश और देशांतर निर्देशांक के आधार पर लॉन्च किया जायेगा।
- ULPIN का पायलट परीक्षण हरियाणा, बिहार, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, सिक्किम, गोवा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में सफलतापूर्वक किया गया है।
- ULPIN को Digital India Land Records Modernisation Programme (DILRMP) में शामिल किया गया है। DILRMP को 2008 में शुरू किया गया था और इसे कई बार बढ़ाया गया है। ULPIN का वर्तमान लॉन्च भी DILRMP के तहत है।
- भारत राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (National Generic Document Registration System) भी लागू कर रहा है । हाल ही में, यह प्रणाली जम्मू और कश्मीर में लागू की गई थी।
ULPIN के लाभ
- ULPIN एक लैंड बैंक विकसित करने में मदद करेगा।
- ULPIN प्रणाली भारत को एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली की ओर ले जाएगी।
- भूमि रिकॉर्ड को अपडेटेड रखने के लिए यह सिस्टम मदद करेगा।
- यह संख्या विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि धोखाधड़ी को रोकने में मदद करेगी।ऐसा इसलिए है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में जमीन के रिकॉर्ड पुराने होते हैं।
- यह प्रणाली विभागों में भूमि रिकॉर्ड डेटा को साझा करना आसान बना देगी।यह भूमि डेटा को मानकीकृत करेगा और अंततः विभागों में प्रभावी एकीकरण और इंटर-ओपेराबिलिटी लाएगा।
ULPIN और अंतर्राष्ट्रीय मानक
यह निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करता है:
- Electronic Commerce Code Management Association standard
- Open Geospatial Consortium Standards
ULPIN की सिफारिश किसने की?
ULPIN प्रणाली की सिफारिश संसदीय स्थायी समिति ने की थी जिसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट लोकसभा को सौंपी थी।
ULPIN की अनुमानित लागत
- संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee) की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक जिले में एक आधुनिक भूमि रिकॉर्ड संरचना बनाने के लिए प्रति जिले 50 लाख रुपये खर्च होंगे।
- इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली (Revenue Court Management System) के साथ भूमि रिकॉर्ड को संयोजित करने के लिए 270 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
Digital India Land Records Modernization Programme (DILRMP)
DILRMP के तीन मुख्य घटक हैं:
- भूमि रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण
- सर्वेक्षण या पुनः सर्वेक्षण
- पंजीकरण का कम्प्यूटरीकरण
DILRMP की प्रगति इस प्रकार है:
- भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण की मूल आवश्यकता, अर्थात, अधिकारों का रिकॉर्ड देश के 90% से अधिक में पूरा हो चुका है।
- कैडस्ट्राल मैप्स को देश के 90% से अधिक में डिजिटल किया गया है।कैडस्ट्राल मानचित्र वे नक्शे होते हैं जो भूमि की सीमा, मूल्य और स्वामित्व को दर्शाते हैं।
- लैंड रिकॉर्ड के साथ एसआरओ के पंजीकरण और एकीकरण का कम्प्यूटरीकरण देश के 90% से अधिक में पूरा किया गया है।
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