UNGA ने 2023 को “मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2023 को “मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” (International Year of Millets) घोषित किया है। इस वर्ष को घोषित करने का संकल्प भारत द्वारा प्रायोजित किया गया था।
महत्त्व
मोटे अनाज उपभोक्ता तथा किसान दोनों के लिए लाभदायक हैं। मोटे अनाज को भोजन के लिए उपयोग किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त इसे फीड व जैव इंधन के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। 2019 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किये जाने से मोटे अनाज के उत्पादन तथा उपभोग में वृद्धि होगी। इससे बड़े पैमाने पर लोगों को भोजन प्राप्त होगा, यह जलवायु परिवर्तन का असर कम करने में भी उपयोगी है।
मोटे अनाज
मोटे अनाज में छोटे बीज वाले पौधों को शामिल किया जाता है, यह पोषक युक्त खाद्य पदार्थ होते हैं। यह आम तौर पर शुष्क क्षेत्रों में उगते हैं, इसमें ज्वार, रागी इत्यादि शामिल हैं। यह शुष्क क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
मोटे अनाज के लाभ
पोषक तत्त्व : मोटे अनाज में गेहूं और चावल की अपेक्षा अधिक प्रोटीन, क्रूड फाइबर, आयरन, जिंक तथा फॉस्फोरस होते हैं। बच्चों और महिलाओं में पोषण की कमी को दूर करने के लिए यह काफी उपयोगी हैं।
स्वास्थ्य लाभ : पेल्लाग्रा, अनेमिया, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन की कमी को दूर करने के लिए मोटे अनाज लाभदायक होते हैं। इसके अलावा मोटापा, मधुमेह तथा अन्य जीवनशैली से सम्बंधित रोगों को दूर करने के लिए भी यह काफी उपयोगी होते हैं। मोटे अनाज में डाइटरी फाइबर तथा एंटी-ऑक्सीडेंट उच्च मात्रा में पाए जाते हैं।
आय का साधन : मोटे अनाज किसानों को पोषण, सुरक्षा, आय तथा जीविका प्रदान करते हैं। इनका उपयोग खाद्य पदार्थ, फीड, चारा तथा जैव इंधन के रूप में किया जा सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन : मोटे अनाज प्रकाश के प्रति असंवेदनशील होते हैं, यह जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए भी उपयोगी होती है। इसका जल व कार्बन फुटप्रिंट बहुत कम होता है। यह काफी उच्च तापमान को सह सकते हैं और कम उपजाऊ भूमि में भी उग सकते हैं।
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