उत्तर प्रदेश में पाया गया कप्पा कोविड संस्करण
हाल ही में उत्तर प्रदेश में COVID-19 के अत्यधिक संक्रमणीय कप्पा प्रकार के दो मामलों का पता चला था।
मुख्य बिंदु
- लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में नमूनों की जीनोम अनुक्रमण के बाद मामले सामने आए।जीनोम अनुक्रमण (genome sequencing) एक प्रयोगशाला प्रक्रिया है जो उत्परिवर्तन (mutations) को चिह्नित करने और कोविड 19 रोग के प्रकोप को ट्रैक करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- 107 नमूनों में COVID-19 का डेल्टा प्लस संस्करण भी पाया गया।
- राज्य में कोविड-19 के दोनों रूप नए नहीं हैं।
कप्पा संस्करण (Kappa Variant)
यह B.1.617 के तीन उप-वंशों में से एक है। इसे B.1.617.1 के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें E484Q उत्परिवर्तन होता है। भारत में पहली बार दिसंबर, 2020 में इसका पता चला था। WHO Weekly Epidemiological Update के अनुसार, 34 देशों ने इस उप-प्रकार के मामलों की सूचना दी थी। मई 2021 तक, इन देशों की संख्या बढ़कर 41 हो गई थी। यूनाइटेड किंगडम ने मई 2021 तक SARS-CoV-2 कप्पा संस्करण के 418 पुष्ट मामलों का पता लगाया था।
डेल्टा संस्करण
इस संस्करण को B.1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है। यह वैरिएंट सबसे पहले भारत में खोजा गया था। यह B.1.617 से सम्बंधित है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने 6 मई, 2021 को B.1.617.2 को “चिंताजनक वैरिएंट” घोषित किया था। यह वायरस के मूल संस्करण की तुलना में अधिक तेज़ी से फैलता है और अल्फा के रूप में तेज़ी से फैल सकता है। इसमें T478K, L452R और P681R म्यूटेशन होते हैं।
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