केंद्र सरकार ने राज्यों को म्यूकोरमायकोसिस (Mucormycosis) को अधिसूचित रोग घोषित करने के लिए कहा

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 20 मई, 2021 को राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को म्यूकोरमायकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगस को अधिसूचित रोग (notifiable disease) घोषित करने के लिए कहा है। इसे अधिसूचित रोग (notifiable disease) किये जाने के बाद सभी निजी व सरकार अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को इसकी स्क्रीनिंग, निदान व प्रबंधन के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय मेडिकल अनुसन्धान परिषद् के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

इससे पहले ब्लैक फंगस रोग को हरियाणा और राजस्थान में अधिसूचित बीमारी (notified disease) के रूप में घोषित किया गया है। इसका मतलब है कि सरकारी अधिकारियों को ब्लैक फंगस रोग (Black Fungus Disease) के प्रत्येक मामले के बारे में सूचित करना होगा।

क्या होता है जब किसी बीमारी को “अधिसूचित” श्रेणी में रखा जाता है?

  • डॉक्टरों को अपने मरीजों में बीमारी के होने की सूचना जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होती है।
  • यह अधिकारियों को बीमारी के प्रसार की जानकारी एकत्र करने, बीमारी की निगरानी करने और प्रारंभिक चेतावनियां निर्धारित करने में मदद करेगा।

अधिसूचित रोग क्या है?

यह वह बीमारी है जिसके होने की सूचना कानूनी तौर पर सरकार को देनी होती है।

अधिसूचित रोग पर डब्ल्यूएचओ (WHO on Notifiable/Notified Diseases)

डब्ल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (WHO International Health Regulations), 1969 ने रोग रिपोर्टिंग को अनिवार्य बना दिया है। इससे डब्ल्यूएचओ को उसकी वैश्विक निगरानी और सलाहकार की भूमिका में मदद मिलेगी। वर्तमान में यह सूची केवल तीन मुख्य रोगों अर्थात् पीला बुखार, हैजा और प्लेग तक सीमित है।

अधिसूचित रोग पर OIE

OIE (World Organisation for Animal Health) वैश्विक स्तर पर पशुओं के रोगों की निगरानी करता है। यह उल्लेखनीय बीमारियों की एक सूची रखता है।

क्या केंद्र सरकार अधिसूचित बीमारी घोषित कर सकती है?

नहीं, चूंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, केवल राज्य सरकारों को अधिसूचित रोग घोषित करने का अधिकार है। हालांकि, केंद्र सरकार अधिसूचित रोगों की एक सूची रखती है।

भारत में अधिसूचित रोगों की सूची

एड्स, हेपेटाइटिस बी, डेंगू बुखार, मलेरिया, काली खांसी, एनीमिया, खसरा, रेबीज, विटामिन ए की कमी, टाइफाइड, स्कार्लेट ज्वर, पोलियो, सेरेब्रो स्पाइनल फीवर, कुष्ठ, हेपेटाइटिस, हैजा, आयोडीन की कमी, कुपोषण, तपेदिक, चेचक प्लेग, खसरा, इन्फ्लूएंजा, डिप्थीरिया, चिकन पॉक्स।

 

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