कैबिनेट ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपये की पीएलआई (PLI) योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घरेलू कंपनियों को मजबूत करने के लिए 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food Processing Industry) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme – PLI) को मंजूरी दे दी।

मुख्य बिंदु

इस योजना का उद्देश्य वैश्विक बाजारों में खाद्य उत्पादों के भारतीय ब्रांड को मजबूत करना, कृषि उपज की पारिश्रमिक कीमतों को सुनिश्चित करना और किसानों को उच्च आय, और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना है। इसकी अवधि 2021-22 से 2026-27 तक छह साल के लिए होगी। इस योजना से देश में आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

पीएलआई योजना चार प्रमुख खाद्य उत्पाद खंडों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करेगी – रेडी मेड खाद्य पदार्थ, प्रसंस्कृत फल और सब्जियां, समुद्री उत्पाद और मोज़ेरेला चीज़। सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के नवीन और जैविक उत्पाद, जिनमें फ्री रेंज-अंडे, पोल्ट्री मीट, अंडा उत्पाद भी शामिल हैं, को भी कवर किया जाएगा।

चुने गये आवेदकों को 2021-22 और 2022-23 के पहले दो वर्षों में संयंत्र और मशीनरी में उनके आवेदन के अनुसार निवेश करना होगा। यह योजना विदेशों में भारतीय ब्रांडों को बढ़ावा देने के इरादे से इन-स्टोर ब्रांडिंग, शेल्फ स्पेस किराए पर लेने और मार्केटिंग के लिए आवेदक संस्थाओं को अनुदान प्रदान करेगी।

इस योजना के कार्यान्वयन से प्रसंस्करण क्षमता के विस्तार से 33,494 करोड़ रुपये का प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादन प्राप्त करने और 2026-27 तक लगभग 2.5 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजित करने की उम्मीद है।

इस योजना के लिए आवेदन करने के एक राष्ट्रीय स्तर का पोर्टल स्थापित किया जाएगा, जबकि योजना के तहत कवरेज के लिए आवेदकों का चयन, अनुमोदन और धन जारी करने का कार्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries) द्वारा किया जाएगा।

उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (Production Linked Incentive) योजना

घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को मार्च 2020 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य आयात में कटौती करना है। यह योजना घरेलू निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।  यह योजनास्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों की स्थापना या विस्तार के लिए प्रोत्साहित करती है।

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