तेलंगाना सरकार ने ग्लाइफोसेट (Glyphosate) पर प्रतिबंध लगाया

तेलंगाना सरकार ने हाल ही में ग्लाइफोसेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।

ग्लाइफोसेट (Glyphosate)

  • ग्लाइफोसेट एक विवादास्पद खरपतवार नाशक है जो आमतौर पर कपास के खेतों में खरपतवार को मारने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध है क्योंकि यह कैंसरकारक (carcinogenic) है। साथ ही, HTBt कपास की अवैध खेती को नियंत्रित करने के लिए इसे प्रतिबंधित किया जा रहा है।
  • ग्लाइफोसेट को पौधे के पत्तों के माध्यम से अवशोषित किया जाता है।यह जड़ों द्वारा न्यूनतम अवशोषित होता है।
  • 2015 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने श्रेणी 2 ए के तहत ग्लाइफोसेट को वर्गीकृत किया, जो कि, “मानव में संभवतः कैंसरकारक” है।

किसान HTBt कपास को क्यों पसंद करते हैं?

HTBt बीज की लागत 1,500 रुपये प्रति 450 ग्राम पैक है। यह बोल्गार्ड कॉटन II से अधिक है जिसकी लागत 740 रुपये प्रति 450 ग्राम पैक है। फिर भी किसान उत्पादन की अपनी कम लागत के लिए HTBt कपास को पसंद करते हैं।

एक सामान्य कपास उत्पादक सिंचाई वाली भूमि में 15,400 रुपये और जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) कपास उगाने के लिए सिंचाई में 23,500 रुपये प्रति एकड़ खर्च करता है। इसमें से लगभग 20% से 25% खरपतवार निकालने में खर्च होता है। दूसरी ओर, HTBt कपास किसान इस खर्च को खरपतवार प्रबंधन पर बचा सकते हैं। वे बस ग्लाइफोसेट स्प्रे कर सकते हैं क्योंकि यह HTBt को प्रभावित नहीं करेगा। इसका कारण यह है कि सामान्य कपास ग्लाइफोसेट का सामना नहीं कर सकता है, जबकि HTBt कपास कर सकता है।

मामला क्या है?

तेलंगाना में लगभग आठ से दस लाख एकड़ भूमि खरपतवार नाशक (herbicide) सहिष्णु HTBt कपास के अधीन है। इस खेती को व्यावसायिक उपयोग के लिए उचित अनुमति नहीं मिली है। जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने अभी तक HTBt कपास अनुमोदित नहीं किया।

ग्लाइफोसेट भोजन और पानी में प्रवेश करता है और मनुष्यों में  किडनी रोगों का कारण बनता है।

ग्लाइफोसेट को क्रॉप डेसिकैंट (Crop Desiccant) के रूप में भी उपयोग किया जाता है। क्रॉप डेसिकैंट फसल को काटने से ठीक पहले इस्तेमाल किया जाता है। इससे फसल की बची हुई पत्तियों मर जाती हैं जिससे पौधे जल्दी और समान रूप से सूख जाते हैं।

तेलंगाना सरकार के कदम

2018 में, तेलंगाना सरकार ने ग्लाइफोसेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह हर्बिसाइड-सहिष्णु बीटी कपास के अवैध उपयोग को रोकने के लिए किया गया था। प्रतिबंधों के बावजूद, इसका उपयोग बंद नहीं हुआ। 2019 में, फिर से तेलंगाना सरकार ने ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध बढ़ा दिया। प्रतिबंध लगाए जाने के कोई परिणाम नहीं होने के कारण, राज्य सरकार ने अब इस खरपतवार नाशक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

अन्य राज्य

  • 2020-21 में, महाराष्ट्र में कपास की खेती के तहत लगभग 35% क्षेत्र अवैध थे।
  • आंध्र प्रदेश, गुजरात में किसानों की एक महत्वपूर्ण संख्या ने 2020-21 में HTBt कपास की खेती की है।
  • अवैध खेती 2019 में शुरू हुई। आज भारत में कपास की खेती के कुल क्षेत्रफल का 50% से अधिक एचटीबीटी के अंतर्गत है।
  • केरल ने भी ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • ग्लाइफोसेट को चाय के बागानों और गैर-फसल वाले क्षेत्रों में उपयोग करने की अनुमति है।

अन्य देश

  • 2014 में श्रीलंका ने ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, यह प्रतिबंध 2018 में हटा दिया गया था जब चाय बागान मालिकों ने आर्थिक नुकसान की शिकायत की थी।
  • अर्जेंटीना ने 2017 में इसे प्रतिबंधित करने की कोशिश की थी।

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