प्रवासी श्रमिकों पर नीति आयोग की मसौदा राष्ट्रीय नीति : मुख्य बिंदु
नीति आयोग ने हाल ही में प्रवासी मजदूरों पर अपनी मसौदा राष्ट्रीय नीति प्रकाशित की।
मुख्य बिंदु
- इस नीति को अधिकारियों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों के कामकाजी उपसमूह के साथ मिलकर तैयार किया गया था।
- यह मसौदा नीति अधिकारों पर आधारित दृष्टिकोण से प्रेरित है।
राष्ट्रीय प्रवासी श्रम नीति
- मसौदा प्रवासी श्रमिक नीति, नीति डिजाइन के संबंध में दो दृष्टिकोणों का वर्णन करती है।
- पहला दृष्टिकोण नकद हस्तांतरण, विशेष कोटा और मजदूरों के लिए आरक्षण पर केंद्रित है।
- अन्य दृष्टिकोण एजेंसी और समुदाय की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- यह नीति आगे हैंडआउट दृष्टिकोण को अस्वीकार करती है और अधिकार-आधारित ढांचे का चयन करती है।
- यह नीति प्रवासी श्रमिकों की क्षमता पर प्रतिबंध को हटाने का प्रयास भी करती है।
- यह नीति आगे बताती है कि, “आंतरिक प्रवासन को विकास का एक अभिन्न अंग माना जाना चाहिए और सरकार की नीतियों को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि यह प्रवास को सुगम बनाए”।
नीति की आवश्यकता
यह मसौदा नीति मौजूदा कानूनों में खामियों के की मौजूदगी के कारण तैयार की गई है। 2017 की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रवासी श्रमिकों को अन्य सभी श्रमिकों के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए ताकि ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों के शोषण को खत्म किया जा सके। इसके अलावा, भारत में असंगठित क्षेत्र का आकार बहुत बड़ा है, इसलिए उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक व्यापक नीति की आवश्यकता है।
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