भारत और स्वीडन के प्रधानमंत्री द्विपक्षीय मुद्दों पर वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे

भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी 5 मार्च, 2021 को अपने स्वीडिश समकक्ष स्टीफन लोफवेन के साथ आभासी शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

मुख्य बिंदु

दोनों प्रधानमंत्री वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। वे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा करेंगे।

भारत-स्वीडन संबंध

भारत-स्वीडन संबंध 1949 में शुरू हुए, जब दोनों देशों ने औपचारिक रूप से अपने राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। स्वीडन ने वर्ष 1947 में यूनाइटेड किंगडम से भारत की स्वतंत्रता को भी मान्यता दी थी। भारत ने स्टॉकहोम में अपना दूतावास स्थापित किया है और स्वीडन ने नई दिल्ली में अपना दूतावास बनाया है। स्वीडन ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में अपने मानद वाणिज्य दूतावास भी स्थापित किए हैं।

पृष्ठभूमि

स्वीडन और भारत के बीच संबंध 8वीं शताब्दी और वाइकिंग्स के युग से हैं। वर्ष 1954 में, एक छोटी कांस्य बुद्ध प्रतिमा की खोज की गई थी जो अब स्वीडिश इतिहास संग्रहालय में प्रदर्शित की गई है। यह मूर्ति वर्तमान कश्मीर में बनाई गयी थी।

वर्तमान संबंध

वर्तमान में, लगभग 10,000 भारतीय नागरिक स्वीडन में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। यह समूह मुख्य रूप से व्यापार या अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में कार्यरत है। दोनों देश स्वतंत्रता, लोकतंत्र, बहुलवाद और नियमों-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों के आधार पर मैत्रीपूर्ण संबंध साझा करते हैं। वर्तमान में 250 से अधिक स्वीडिश कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, जीवन विज्ञान, ऑटो उद्योग, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, रक्षा, भारी मशीनरी आदि क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जबकि स्वीडन में 75 भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं।

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