वाराणसी को पहली SCO पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया
वाराणसी के मंदिर शहर को हाल ही में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पहली बार SCO पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया।
मुख्य बिंदु
- उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक के दौरान 2022-23 की अवधि के लिए पहली बार एससीओ पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया।
- यह भारत और अन्य एससीओ सदस्य देशों के बीच पर्यटन, सांस्कृतिक और मानवीय आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
- इस रूपरेखा के तहत 2022-23 में वाराणसी में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
- SCO पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के नामांकन के लिए नियमों को 2021 में दुशांबे SCO शिखर सम्मेलन में अपनाया गया था।
- इस पहल का उद्देश्य एससीओ सदस्यों के बीच संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है।
- यह एससीओ सदस्यों, विशेष रूप से मध्य एशिया के लोगों के साथ भारत के प्राचीन सभ्यतागत संबंधों पर भी प्रकाश डालता है।
पृष्ठभूमि
2019 बिश्केक शिखर सम्मेलन के दौरान, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति ने एससीओ की अध्यक्षता वाले देश में एक शहर को एससीओ पर्यटन और संस्कृति राजधानी के रूप में नामित करने की वार्षिक एससीओ परंपरा की स्थापना का सुझाव दिया।
वाराणसी
उत्तर प्रदेश में वाराणसी 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है। इसे भारत की “आध्यात्मिक राजधानी” माना जाता है। यहाँ पर काशी विश्वनाथ सहित लगभग 2,000 मंदिर हैं। यह मध्य-गंगा घाटी में गंगा नदी के बाएं किनारे पर स्थित है।
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization)
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 2001 में स्थापित एक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा गठबंधन है। इसका मुख्यालय बीजिंग में है। इसके सदस्य चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने।
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