सर्वोच्च न्यायालय ने ऋण योजना में ब्याज माफ किया

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऋण स्थगन योजना (Loan Moratorium Scheme ) पर सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

मुख्य बिंदु

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि ब्याज की कुल छूट जैसी अतिरिक्त राहत की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह जमाकर्ताओं को प्रभावित करेगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ऋण की राशि के बावजूद ऋण के ब्याज पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। यदि कोई राशि एकत्र की गई है तो उसे वापस कर दिया जाएगा।

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट और बिजली क्षेत्रों से कई व्यापार संघों द्वारा दलीलों के एक बैच के बाद अपना फैसला सुनाया, जो कोरोनोवायरस महामारी के कारण ऋण स्थगन और अन्य राहत के विस्तार की मांग कर रहे थे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने 17 दिसंबर, 2020 को फैसला सुरक्षित रखा था।

केंद्र सरकार की राय

केंद्र ने अदालत में कहा कि, अगर यह छह महीने की स्थगन अवधि के लिए ऋण लेने वालों की सभी श्रेणियों के ऋणों और अग्रिमों पर ब्याज छूट पर विचार करती है, तो इस राशि का अनुमान 6 खरब रुपये से अधिक होगा। यदि बैंकों को इस राशि का भार वहन करना पड़ता है, तो यह उनके नेटवर्थ के एक बड़े हिस्से को नष्ट कर देगा।

ऋण अधिस्थगन (Loan Moratorium)

ऋण अधिस्थगन वह समय अवधि है जिसमें ऋणदाताओं को उनके द्वारा लिए गए ऋण पर EMI  का भुगतान नहीं करना पड़ता है। ऐसे ब्रेक की पेशकश उन व्यक्तियों की मदद के लिए की जाती है जो अस्थायी वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। भारत में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ऋण अधिस्थगन योजना की घोषणा की थी, जिसने ऋण संस्थाओं को कोविड-19 महामारी के बीच ऋणों की अपनी किस्तों में अस्थायी राहत देने की अनुमति दी थी।

Categories:

Tags: , , , , , ,

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *