संसदीय पैनल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम की मांग की

हाल ही में, गृह मामलों की एक संसदीय स्थायी समिति ने राज्यसभा के सभापति और उपाध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस संसदीय पैनल का नेतृत्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने किया। इस पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निजी अस्पतालों पर नजर रखने और महामारी के समय दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए एक सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम की आवश्यकता है।

मुख्य बिंदु

इस पैनल के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम में ऐसे प्रावधान होने चाहिए जो सरकार को निजी अस्पतालों की जांच में मदद करें। यह अधिनियम दवाओं और उत्पाद मानकीकरण के कालाबाजारी की निगरानी और रोकथाम करने में भी सक्षम होना चाहिए। इस पैनल के अनुसार, सरकार को प्रभावी और सस्ती दवाओं पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

इस पैनल ने कहा कि महामारी के शुरुआती चरण में, कोविड​​-19 के लिए चिकित्सा बीमा नहीं बढ़ाया गया था। पैनल ने COVID-19 बीमा दावों को स्वीकार करने से इनकार करने वाले अस्पतालों पर निगरानी रखने के लिए एक नियामक ढांचा बनाने का सुझाव दिया है।

इस पैनल ने कहा है कि COVID-19 टीकों को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण देने से पहले उचित विचार किया जाना चाहिए और परीक्षणों का विश्लेषण किया जाना चाहिए। इस पैनल ने COVID-19 महामारी जैसी स्थितियों को संभालने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) में एक अलग विंग बनाने का भी सुझाव दिया है।

संसदीय पैनल की अन्य सिफारिशें

इस पैनल ने अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव और कई योजनाओं के गैर-कार्यान्वयन पर चिंता व्यक्त की है। पैनल ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि एक महामारी के दौरान स्कूलों को बंद कर दिया गया है; छात्रों को “मिड-डे मील” से वंचित किया गया है।

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