आर्थिक सर्वेक्षण 2021 : मुख्य बिंदु

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 29 जनवरी, 2021 को लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 को पेश किया।

मुख्य बिंदु

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति का एक अनुमान प्रस्तुत किया गया।
  • इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021 की वास्तविक विकास दर -7% थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2022 के लिए वास्तविक वृद्धि दर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा प्रदान किए गए अनुमानों के आधार पर 11.5% के रूप में लिया गया है।
  • सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अप्रैल-जून 2020 में रिकॉर्ड 9 प्रतिशत का संकुचन हुआ था, जबकि दूसरी तिमाही में यह 7.5 प्रतिशत तक संकुचित हुआ था।
  • पूरे वित्त वर्ष के लिए, इस सर्वेक्षण में 7 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया गया है, इसके बाद वी-आकार की रिकवरी होने के आसार हैं।2021-22 के वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में 11% विस्तार होगा।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था तकनीकी रूप से मंदी में है क्योंकि इसने पिछले दो लगातार तिमाहियों के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संकुचन दर्ज किया गया है।
  • इस सर्वेक्षण ने कोरोना महामारी के कारण प्रभावित होने के बाद भारत के वी-आकार के आर्थिक सुधार का एक विस्तृत विश्लेषण भी प्रदान किया है।
  • इस सर्वेक्षण के अनुसार, कृषि क्षेत्र में महामारी के दौरान भी अच्छी वृद्धि देखी गयी, जबकि विनिर्माण और निर्माण जैसी संपर्क-आधारित सेवाओं को कोरोना महामारी के कारण तीव्र गिरावट का सामना करना पड़ा।

भारत का आर्थिक सर्वेक्षण

यह वित्त मंत्रालय द्वारा जारी प्रमुख वार्षिक दस्तावेज है। इस दस्तावेज़ को केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है। यह दस्तावेज़ भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। बजट सत्र के दौरान, यह दस्तावेज संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है।

पृष्ठभूमि

भारत का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था। इसे केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में प्रस्तुत किया गया था। यह सर्वेक्षण वर्ष 1964 के बाद केंद्रीय बजट से अलग हो गया था।

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