इसरो ने उत्तराखंड ग्लेशियर टूटने के चित्र जारी किये
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर के फटने की घटना की पहली तस्वीरें जारी की हैं।ग्लेशियर के फटने से अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी हैं। इस घटना के बाद, सौ से अधिक लोग अभी भी लापता हैं।
मुख्य बिंदु
- उपग्रह के चित्र से पता चलता है कि ऋषि गंगा और धौली गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में फ़्लैश फ्लड की सूचना दर्ज की गई थी।
- चमोली जिले के रैनी गाँव के समीप प्रमुख हिमस्खलन बाढ़ का कारण बना।
- इन छवियों से पता चलता है कि रैनी और तपोवन में स्थित बिजली संयंत्र ग्लेशियर के टूटने से सबसे अधिक नुकसान हुआ।
- एक चित्र में धौली गंगा में भारी मात्रा में मलबे का जमाव दिखाई दे रहा है।
- एक दूसरे चित्र से पता चलता है कि तपोवन और रैनी में बांध के बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंची है।
- इन चित्रों को इसरो के एडवांस्ड अर्थ इमेजिंग और मैपिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 द्वारा कैप्चर किया गया था।
ग्लेशियर फटने के कारण
वैज्ञानिक अभी भी हिमस्खलन या ग्लेशियर के टूटने के कारण के बारे में जाँच कर रहे हैं। परन्तु विशेषज्ञ मानना है कि जलवायु परिवर्तन इसका एक प्रमुख कारण सकता है। क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं।
कार्टोसैट-3
यह एक उन्नत भारतीय पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (earth observation satellite) है। इस उपग्रह को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा निर्मित और विकसित किया गया है। इसने आईआरएस श्रृंखला की जगह ली है। इस उपग्रह में 0.25 मीटर का पैनक्रोमेटिक रेजोल्यूशन शामिल है। इस प्रकार, यह दुनिया में सबसे अधिक रिज़ॉल्यूशन वाला इमेजिंग उपग्रह है।
कार्टोसैट-3 का उपयोग
इस उपग्रह का उपयोग मौसम के मानचित्रण, कार्टोग्राफी, रक्षा और सामरिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।
कार्टोसैट-3 की विशेषताएं
इस उपग्रह का रिज़ॉल्यूशन 25 सेमी है। इसमें 1.2 मीटर ऑप्टिक्स का इस्तेमाल किया गया है। उयह पग्रह ऑप्टिकल डिवाइसेस और एडेप्टिव ऑप्टिक्स करता है। इस उपग्रह की आयु 5 वर्ष है।
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