COVID लोन बुक क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में 50,000 करोड़ रुपये की ऑन-टैप लिक्विडिटी विंडो (on-tap liquidity window) खोली है।
नोट: ऑन-टैप का मतलब ‘तैयार’ है। ऑन-टैप लिक्विडिटी विंडो वह फंड है जिसे तुरंत प्रदान किया जाना है।
योजना क्या है?
इस कदम के तहत बैंक वैक्सीन निर्माताओं, टीकों के आयातकों, पैथोलॉजी लैब, अस्पतालों और औषधालयों, टीकों के आपूर्तिकर्ताओं, लॉजिस्टिक्स फर्मों आदि को ऋण सहायता प्रदान कर सकते हैं।
COVID लोन बुक
COVID लोन बुक इस नई विंडो के तहत बैंकों द्वारा प्रदान किए गए ऋण का एक खाता है।
तकनीकी व्याख्या: बैंक COVID ऋण पुस्तिका खोल सकते हैं। वे अपनी अधिशेष तरलता को RBI के साथ COVID लोन बुक के आकार में पार्क कर सकते हैं। यह रिवर्स रेपो रेट पर किया जायेगा।
आसान शब्दों में: फंड्स को पार्क करने का मतलब है बैंक में पैसा जमा करना। नए कदम के तहत, बैंक आरबीआई में अधिशेष धन (surplus money) जमा कर सकते हैं।
आर्थिक रिकवरी में COVID लोन बुक कैसे मदद करेगा?
RBI इन बैंकों द्वारा जमा किए गए धन के लिए ब्याज का भुगतान करता है। मई 2020 में, भारतीय बैंक ने केवल RBI के पास पैसे रख कर 3.1 बिलियन डालर कमाए।
ऋणदाता अपने फंड को सुरक्षित स्थानों पर रखने में सहज होते हैं, भले ही ऐसे साधनों से होने वाली कमाई भी कम हो। यह बैंकों द्वारा आरबीआई के साथ अपने फंड पार्क करने का मुख्य कारण है।
हालांकि, RBI के साथ बैंकों के फंड्स की पार्किंग में हाल ही में वृद्धि हुई है। इसने हाल ही में प्रति दिन 7 लाख करोड़ रुपये के उच्च रिकॉर्ड को हासिल किया है।
इस समय, जब अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है, तो बैंकों को आर्थिक सुधार में मदद करने के लिए अधिक उधार देना चाहिए। इसके विपरीत, बैंक आरबीआई के पास धनराशि जमा कर रहे हैं।
क्या इसमें बैंकों की गलती हैं? नहीं। कोविड-19 संकट और लॉक डाउन के कारण स्थिति ऐसी है कि बैंक लोगों को पैसा उधार देने के बजाय फंड्स को पार्क करके ज्यादा कमा रहे हैं।
अब, आरबीआई को अधिक पैसा उधार देने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करना होगा। इसीलिए “कोविड लोन बुक” पेश किया गया है। यह बैंकों को बाजार में अधिक धन उधार देने के लिए मजबूर करेगा। यह बदले में आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
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