Climate Action Tracker : ग्लोबल वार्मिंग 2100 तक 2.4 डिग्री सेल्सियस पर पहुँच जाएगी

Climate Action Tracker ने हाल ही में यूएस क्लाइमेट समिट के प्रभावों की गणना करते हुए एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के मुताबिक, शिखर सम्मेलन के महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को लागू करने के बाद भी, पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में वैश्विक तापमान में 2100 तक 2.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।

मुख्य बिंदु

इस रिपोर्ट में 36 देशों की नीतियों और उनकी जलवायु प्रतिज्ञाओं को ट्रैक किया गया है। यूरोपीय संघ के साथ इन 36 देशों का विश्व कार्बन उत्सर्जन में 80% हिस्सा है।

शिखर सम्मेलन से पहले Climate Action Tracker ने भविष्यवाणी की थी कि वैश्विक तापमान में 2.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।

रिपोर्ट का विश्लेषण

इस रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश देश अपने घोषित जलवायु लक्ष्यों से पीछे हैं। इस गति से, वैश्विक तापमान में 2100 तक 2.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। इस प्रकार, देशों को ग्लासगो शिखर सम्मेलन (Glasgow Summit) से पहले पेरिस समझौते के तहत अपने स्वैच्छिक उत्सर्जन लक्ष्यों को बढ़ाना चाहिए। ग्लासगो शिखर सम्मेलन, COP26 नवंबर, 2021 में आयोजित किया जायेगा।

मुद्दे की  गंभीरता

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार, वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ने पर दुनिया को गंभीर प्रभावों का सामना करना पड़ेगा। यदि ऐसा होता है, तो सभी हिमालय के ग्लेशियर गायब हो जाएंगे, वैश्विक जल तनाव दोगुना हो जाएगा, सभी प्रवाल भित्तियां मर जाएगी, व्यापक निवास स्थान विनाश, अत्यधिक गर्मी होगी। वैश्विक स्तर पर समुद्र की वृद्धि से दस मिलियन से अधिक लोग प्रभावित होंगे।

Climate Action Tracker

यह एक स्वतंत्र वैज्ञानिक विश्लेषण है जो सरकारों के जलवायु कार्यों को ट्रैक करता है। इसके बाद वह पेरिस समझौते के खिलाफ उपाय करता है। यह दो संगठनों, New Climate Institute और Climate Analytics का सहयोग है।

 

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