COVID टीकों के लिए बौद्धिक संपदा छूट : मुख्य बिंदु

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने 2020 में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) में बौद्धिक सम्पदा में छूट के लिए प्रस्ताव दिया था। यह अब अमेरिका भी इसका समर्थन कर रहा है। COVID-19 टीकों के लिए बौद्धिक संपदा में छूट देने के लिए अमेरिका विश्व व्यापार संगठन में बातचीत करेगा। इससे मध्यम आय वाले देशों में बड़े पैमाने पर COVID-19 टीकों के उत्पादन में मदद मिलेगी।

COVID-19 टीकों के लिए बौद्धिक संपदा छूट क्या है?

बौद्धिक सम्पदा ​​अधिकार एक आविष्कारक को सरकार द्वारा दिया गया एकाधिकार है। इसका अर्थ है कि दूसरे उनके आविष्कार की नकल नहीं कर सकते। यह एक प्रक्रिया पेटेंट या उत्पाद पेटेंट हो सकता है।

विकासशील देश तर्क दे रहे हैं कि बौद्धिक संपदा टीकों के उत्पादन को बढ़ाने में एक बाधा है।

मध्यम आय वाले देशों में COVID-19 टीकों का उत्पादन लाइसेंसिंग या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों के माध्यम से होता रहा है। इस प्रकार, COVID-19 वैक्सीन उत्पादन के उत्पादन में तेजी लाने के लिए, COVID-19 वैक्सीन के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट देना आवश्यक है।

सरल शब्दों में, बौद्धिक सम्पदा अधिकार में छूट का मतलब है कि जब एक कंपनी ने एक वैक्सीन का उत्पादन किया है, तो अन्य तुरंत इसकी रचना की नकल कर सकते हैं, अपना उत्पादन कर सकते हैं। इससे वैक्सीन का उत्पादन बढ़ेगा और वैक्सीन की लागत में भी कमी आएगी।

बाधा

AstraZeneca और Pfizer जैसी फार्मा कंपनियों ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार में छूट का विरोध किया है। उनके अनुसार, यह टीका सुरक्षा में जनता के विश्वास को कमजोर कर सकता है और सूचना के आदान-प्रदान में अवरोध पैदा कर सकता है।

COVID-19 वैक्सीन उत्पादन में अन्य बाधाएं व्यापार बाधाएं, कच्चे माल की कमी, गरीब देशों के साथ खुराक साझा करने के लिए अमीर देशों की अनिच्छा हैं।

वर्तमान परिदृश्य

164 सदस्यों में से 100 देश बौद्धिक सम्पदा में छूट के पक्ष में हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी छूट पर सहमति व्यक्त की।

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