रक्षा मंत्री ने युद्ध इतिहास के अवर्गीकरण के लिए नई नीति को मंज़ूरी दी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युद्ध के इतिहास को सार्वजनिक करने की नीति को मंजूरी दे दी है।
नई नीति के बारे में मुख्य बिंदु
- इस नीति के तहत, रक्षा मंत्रालय युद्ध और ऑपरेशन इतिहास को संग्रहित (archive), अवर्गीकृत (declassify), संकलित (compile) और प्रकाशित (publish) करेगा।
- हालाँकि, 1962 के युद्ध जैसे पुराने युद्धों का अवर्गीकरण स्वचालित नहीं है।
- नई नीति के तहत गठित एक समिति द्वारा मामला-दर-मामला आधार पर अवर्गीकरण (declassify) किया जाएगा।
- इस नीति के अनुसार, रिकॉर्ड को सामान्यतः 25 वर्षों में अवर्गीकृत किया जाना चाहिए।
- 25 वर्ष से अधिक पुराने अभिलेखों का अभिलेखीय विशेषज्ञों (archival experts) द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए और युद्ध या ऑपरेशन के इतिहास संकलित होने के बाद भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए।
क्या युद्धों की सभी रिपोर्ट सार्वजनिक होंगी?
यह समिति पहले के युद्धों और अभियानों पर विचार करेगी। युद्धों और ऑपरेशन पर संकलित इतिहास का पहले पांच साल के भीतर आंतरिक रूप से अध्ययन किया जाएगा। उसके बाद, समिति विषय की संवेदनशीलता के आधार पर पूरे या उसके कुछ हिस्सों को सार्वजनिक रूप से जारी करने का निर्णय ले सकती है।
समिति
इस नीति के अनुसार एक समिति गठित की जाएगी जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव करेंगे। इसमें युद्ध और ऑपरेशन इतिहास के संकलन के लिए सेवाओं के प्रतिनिधि, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रमुख सैन्य इतिहासकार शामिल होंगे। इस समिति का इतिहास प्रभाग युद्ध और ऑपरेशन इतिहास के अनुमोदन और प्रकाशन के लिए संकलन करते समय विभिन्न विभागों के साथ समन्वय करने के लिए जिम्मेदार होगा।
पृष्ठभूमि
सीखे गए सबक का विश्लेषण करने और भविष्य की गलतियों को रोकने के लिए के. सुब्रह्मण्यम और एन.एन. वोहरा समिति की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति (Kargil Review Committee) द्वारा अवर्गीकरण पर स्पष्ट नीति के साथ युद्ध इतिहास लिखने के प्रस्ताव की सिफारिश की गई थी।
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