कैबिनेट ने डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर अध्ययन करने और तापीय ऊर्जा (thermal energy) के स्रोत का पता लगाने के लिए एक अपतटीय समुद्री स्टेशन स्थापित करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ‘डीप ओशन मिशन’ (Deep Ocean Mission) को मंजूरी दी है।
मुख्य बिंदु
- यह मिशन संसाधनों के लिए गहरे महासागर की खोज करेगा और समुद्र के संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र में प्रौद्योगिकियों के विकास में मदद करेगा।
- पांच साल की अवधि में 4,077 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट में यह मिशन पूरा किया जाएगा।
- इसे चरणों में लागू किया जाएगा।पहला चरण 2021-2024 के दौरान लागू किया जाएगा।
- तीन साल के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इस मिशन को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय होगा।
ऐसे मिशन कौन से देश करते हैं?
ऐसी तकनीक और विशेषज्ञता वर्तमान में पांच देशों रूस, अमेरिका, फ्रांस, जापान और चीन के पास उपलब्ध है। भारत अब ऐसा करने वाला छठा देश होगा।
डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission)
यह गहरे समुद्र में खोजबीन करने की एक भारतीय पहल है। यह भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों और महाद्वीपीय शेल्फ पर केंद्रित है। समुद्री तल का पता लगाने के लिए इस मिशन में विभिन्न मानवयुक्त और मानव रहित सबमर्सिबल शामिल हैं। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य पॉलीमेटेलिक नोड्यूल (polymetallic nodules) का पता लगाना और निकालना है जो निकल, मैंगनीज, तांबा, कोबाल्ट और आयरन हाइड्रॉक्साइड जैसे खनिजों से बने होते हैं। ये धातुएं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, स्मार्टफोन, सौर पैनल और बैटरी के निर्माण में उपयोगी हैं।
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