भारत-चीन सीमा विवाद: पूर्वी लद्दाख के गोगरा क्षेत्र में सैनिकों को हटाया गया
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के गोगरा क्षेत्र में अपने सैनिकों को हटाने पर सहमत हो गए हैं।
मुख्य बिंदु
- दोनों पक्ष क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) बहाल करने पर सहमत हो गए हैं।
- 15 महीने के स्टैंड-ऑफ के बाद सेना को हटाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों की टुकड़ी अपने-अपने स्थायी ठिकानों पर वापस आ गई।
- दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचे और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया है और पारस्परिक रूप से सत्यापित किया गया है।
- डिसइंगेजमेंट समझौते के अनुसार, गोगरा में वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन किया जाएगा और दोनों पक्ष इसका सम्मान करेंगे। दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि यथास्थिति (status quo) में एकतरफा बदलाव न हो।
संघर्ष का क्षेत्र
भारत और चीन 6 फ्लैशप्वाइंट पर आमने-सामने थे। 6 में से, दोनों पक्षों के सैनिकों ने अब पैंगोंग झील के गलवान तथा उत्तर और दक्षिण तटों सहित 4 फ्लैशप्वाइंट में पीछे हटना शुरू कर दिया है। हालांकि, देपसांग और हॉट स्प्रिंग्स में गतिरोध अभी भी जारी है।
पृष्ठभूमि
पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हुआ। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपनी तैनाती बढ़ा दी और हजारों सैनिकों को भारी हथियारों के साथ तैनात किया गया। दोनों पक्षों के पास संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC)
LAC भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करने वाला सीमांकन है। भारत के अनुसार LAC लगभग 3,488 किमी लंबी है लेकिन चीन के अनुसार यह लगभग 2,000 किमी है। LAC को तीन सेक्टरों में बांटा गया है:
- पूर्वी क्षेत्र जो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम तक फैला है।
- मध्य क्षेत्र में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल है।
- पश्चिमी क्षेत्र में लद्दाख में शामिल है।
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