निजामुद्दीन बस्ती परियोजना (Nizamuddin Basti Project) को दो यूनेस्को विरासत पुरस्कार मिले
यूनेस्को ने हाल ही में निजामुद्दीन बस्ती परियोजना (Nizamuddin Basti Project) के लिए दो विरासत पुरस्कार प्रदान किए हैं। इस परियोजना को इसके संरक्षण प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया था। इसे सतत पुरस्कार (Sustainable Award) और उत्कृष्टता पुरस्कार (Award of Excellence) के लिए विशेष मान्यता से सम्मानित किया गया।
Nizamuddin Basti Project क्या है?
- इस परियोजना ने 14वीं सदी के सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के आसपास स्थित 20 से अधिक ऐतिहासिक स्मारकों का जीर्णोद्धार किया।
- निजामुद्दीन क्षेत्र में हुमायूं का मकबरा और बताशेवाला का मकबरा और 16वीं सदी के कवि रहीम का मकबरा है। इन क्षेत्रों को अलग कर दिया गया और क्षतिग्रस्त कर दिया गया। उन्हें निजामुद्दीन बस्ती परियोजना द्वारा भी नवीनीकृत किया गया था।
- यह परियोजना 2007 में आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, दिल्ली शहरी विरासत फाउंडेशन और दिल्ली नगर निगम द्वारा शुरू की गई थी।
Nizamuddin Basti Project का उद्देश्य
- निजामुद्दीन बस्ती परियोजना एक शहरी नवीकरण परियोजना है। इसने निजामुद्दीन बस्ती और इसके आसपास की 70 एकड़ की सात-सदी पुरानी बस्ती के अलग-अलग क्षेत्रों को सफलतापूर्वक एकीकृत किया।
- इसने इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास, संरक्षण और पर्यावरण विकास के उद्देश्यों को एकीकृत किया।
- इसने तीन प्रमुख स्थलों अर्थात् सुंदर नर्सरी, निजामुद्दीन बस्ती और हुमायूँ मकबरे को एकीकृत किया।
हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ के मकबरे को उसकी पहली पत्नी बेगा बेगम ने बनवाया था। इसे 1993 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। मकबरे को “चार बाग” नामक तीस एकड़ के बगीचे के केंद्र में रखा गया है। अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने 1857 में हुमायूं के मकबरे में कैद कर लिया था।
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