AIIMS ने COVID-19 से पीड़ित बच्चों पर अध्ययन किया
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences – AIIMS) ने हाल ही में COVID-19 से पीड़ित बच्चों पर एक अध्ययन किया। इस अध्ययन के अनुसार, किशोरों में वयस्कों की तुलना में कम मृत्यु दर और कम लक्षणों का सामना करना पड़ा।
मुख्य निष्कर्ष
- 1% किशोर मध्यम COVID-19 बीमारी से पीड़ित हैं। 84.6% हल्के COVID-19 से पीड़ित थे। 11.5% शरीर में दर्द से पीड़ित थे। 14.9% बच्चे बुखार और खांसी से पीड़ित थे। 6.3% गंभीर COVID-19 बीमारी से पीड़ित थे। 6.2% बच्चों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा।
- इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दूसरी लहर के दौरान 50.7% वयस्कों को सांस लेने में तकलीफ हुई। 7.3% बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी। 2.3% को इनवेसिव वेंटिलेशन की आवश्यकता थी। 2.8% नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन की ज़रुरत थी। 1% बच्चों को स्टेरॉयड की दवा दी गई। 16.9% बच्चों को रेमडेसिविर दी गई।
- वर्तमान में, 15 वर्ष से 17 वर्ष की आयु के बच्चों की अस्पताल में मृत्यु दर 3.1% है। दूसरी लहर के दौरान यह 19.1% थी। इससे पता चलता है कि दूसरी लहर की तुलना में बच्चों में अस्पताल में मृत्यु दर में कमी आई है।
यह अध्ययन क्यों किया गया?
3 जनवरी, 2022 से 15 वर्ष से 17 वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है। और डॉक्टर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले इन बच्चों के COVID प्रोफाइल का अध्ययन करना चाहते थे।
MIS–C
MIS–C एक मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (multisystem inflammatory syndrome) है। यह ऐसी स्थिति है, जहां एंटीबॉडी हिंसक हो जाती हैं और मानव शरीर पर हमला करते हैं। MIS–C बच्चों में देखा गया है। 10,000 में से 12 COVID-19 संक्रमित बच्चे MIS-C से पीड़ित थे। MIS-C की स्थिति बच्चों के COVID-19 से ठीक होने के चार से छह सप्ताह में विकसित होती है।
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