चीन और पाकिस्तान ने CPEC समझौते पर हस्ताक्षर किये

4 फरवरी, 2022 को पाकिस्तान ने 60 बिलियन डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor – CPEC) के दूसरे चरण को शुरू करने के लिए चीन के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए।

मुख्य बिंदु

  • इस अवसर पर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने विवादास्पद परियोजनाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसका पाकिस्तान और चीन के लिए रणनीतिक महत्व है।
  • 2020 बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए इमरान खान चार दिवसीय यात्रा पर चीन पहुंचे।
  • उन्होंने चीन के National Development & Reform Commission (NDRC) के अध्यक्ष हे लाइफेंग (He Lifeng) के साथ वर्चुअल बैठक की और पाकिस्तान में चीनी निवेश के विस्तार पर चर्चा की।

औद्योगिक सहयोग पर ढांचा समझौता (Framework Agreement on Industrial Cooperation)

इस अवसर पर, औद्योगिक सहयोग पर फ्रेमवर्क समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए:

  1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करना
  2. औद्योगीकरण और आर्थिक क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देना
  3. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में परियोजनाओं की शुरुआत, योजना, क्रियान्वयन और निगरानी

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)

CPEC बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का एक संग्रह है, जो पूरे पाकिस्तान में निर्माणाधीन हैं। यह 2013 में शुरू हुआ था। इस परियोजना का शुरूआती मूल्य 47 बिलियन अमरीकी डालर था। इसका मूल्य 2020 तक बढ़कर 62 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। CPEC परियोजना आधुनिक परिवहन नेटवर्क, विशेष आर्थिक क्षेत्र और कई ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण करके पाकिस्तान के आवश्यक बुनियादी ढांचे को तेजी से अपग्रेड करने और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर केंद्रित है। यह चीन के उत्तर पश्चिमी झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र को पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का 3,000 किलोमीटर लंबा मार्ग है।

क्या CPEC चालू है?

CPEC 13 नवंबर, 2016 को आंशिक रूप से चालू हो गया, जब चीनी कार्गो को ग्वादर पोर्ट पर ले जाया गया और समुद्री शिपमेंट को अफ्रीका और पश्चिम एशिया में ले जाया गया। इसकी कुछ बिजली परियोजनाओं को 2017 के अंत तक चालू कर दिया गया था।

CPEC की वर्तमान स्थिति

कोविड -19 महामारी और उत्तर-पश्चिम-सीमा प्रांत और बलूचिस्तान में विरोध के बीच श्रमिकों की सुरक्षा चिंताओं के कारण CPEC की प्रगति रोक दी गई है।

भारत CPEC के खिलाफ क्यों है?

भारत CPEC का विरोध कर रहा है, क्योंकि इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के जरिए बिछाया जा रहा है।

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