जटावर्मन सुंदर पाण्ड्य I, पाण्ड्य वंश

जटावर्मन सुंदर पाण्ड्य I एक महान विजेता थे। उन्होने दक्षिण में कन्याकुमारी से लेकर उत्तर में नेल्लूर और कुडप्पा जिलों तक फैले लगभग पूरे क्षेत्र पर शासन किया। उन्होने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की और वहाँ के राजा ने उनकी अधीनता स्वीकार की। इसके अलावा उन्होने कई छोटे राजाओं को हराकर उन्हें अपनी अधीनता स्वीकार

विष्णुवर्धन, होयसल वंश

प्राचीन कर्नाटक का होयसल वंश 11 वीं -14 वीं शताब्दी में सत्ता में था। होयसल वंश ने पूरे कर्नाटक और दक्षिण भारत के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। होयसल राजवंश के गौरवशाली शासकों में विष्णुवर्धन का एक मुख्य स्थान है। उन्हें एक छोटे से रियासत को बहुत विशाल साम्राज्य में विस्तारित

राजेंद्र चोल I

राजराज चोल I का पुत्र राजेंद्र चोल I अपने पिता के शासन के बाद चोल साम्राज्य के सिंहासन पर आसीन हुए। वह तमिलनाडु के इतिहास में और पूरे दक्षिण भारत में एक विशेष स्थान रखते हैं। वह एक महान शासक और शक्तिशाली सम्राट थे। उनकी उत्कृष्ट सैन्य उपलब्धियों की शुरुआत उस समय से हुई जब

राजाराज चोल I

राजाराज चोल I बाद के चोल वंश का संस्थापक है। उन्होने 985 ई – 1014 ई से शासन किया। वह परांतक द्वितीय का दूसरा पुत्र था। राजराजा चोल I के शासन में चोलों के साथ-साथ सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी उन्नति देखि गयी जिसके लिए इस राजवंश को आज भी याद किया जाता है। उनके कई

कुषाण साम्राज्य का पतन

कुषाण साम्राज्य पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में विभाजित हो गया। कुषाण साम्राज्य प्राचीन भारत में सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। षाण पराक्रमी विजेता थे और कुषाण साम्राज्य उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के पूरे हिस्सों सहित काफी हद तक फैला हुआ था। कनिष्क के कमजोर उत्तराधिकारियों या बाद के कुषाणों के कारण कुषाण साम्राज्य