RBI ने NBFC IPO फंडिंग की सीमा तय की
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 22 अक्टूबर, 2021 को गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (Non-Banking Finance Companies – NBFC) के पैमाने-आधारित विनियमन की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- RBI के नियमन में प्रति उधारकर्ता IPO फंडिंग पर एक सीलिंग और न्यूनतम शुद्ध स्वामित्व वाले फंड में बदलाव, पूंजी की आवश्यकताएं और गैर-निष्पादित आस्तियों का वर्गीकरण शामिल है।
- नए ढांचे के तहत, RBI ने एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (Initial Public Offering (IPO) की सब्सक्रिप्शन के वित्तपोषण के लिए प्रति उधारकर्ता 1 करोड़ रुपये की सीमा रखी है।
- कुल मिलाकर दिशानिर्देश 1 अक्टूबर, 2022 से प्रभावी होंगे, जबकि IPO फंडिंग की सीमा से संबंधित निर्देश 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होंगे।
बदलाव
नए ढांचे के तहत, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की नियामक संरचना में आकार, गतिविधि और कथित जोखिम के आधार पर चार परतें शामिल होंगी, अर्थात् शीर्ष परत, ऊपरी परत, मध्य परत और आधार परत।
RBI का चर्चा पत्र (RBI’s Discussion Paper)
RBI ने जनवरी 2021 में इस विषय पर एक चर्चा पत्र भी जारी किया था और इस पर सार्वजनिक टिप्पणियां की थीं। इस चर्चा पत्र में, RBI ने उल्लेख किया कि व्यक्तिगत NBFC का IPO वित्तपोषण जांच के दायरे में आ गया है। IPO फाइनेंसिंग के लिए बैंकों के लिए 10 लाख रुपये की सीमा है जबकि NBFC के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है।
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