चीन और पाकिस्तान के बीच नई सैन्य डील : मुख्य बिंदु

30 नवंबर, 2020 को पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जनरल वेई गेंग ने रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना मुख्यालय का दौरा किया। इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने क्षेत्रीय सुरक्षा, आपसी हित और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने के मामलों पर चर्चा की। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के बारे में भी चर्चा की जिसमें पाकिस्तानी सेना की अधिक भूमिका है।

दोनों देशों ने रक्षा से संबंधित एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता मुख्य रूप से पाकिस्तानी सेना की क्षमता निर्माण पर केंद्रित है और 2019 में हस्ताक्षरित रक्षा समझौते का एक हिस्सा है। इस समझौते पर गुप्त रूप से हस्ताक्षर किए गए थे और इसके विवरण को गुप्त रखा गया था।

गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य संबंध हाल ही के दिनों में काफी बढ़ रहे हैं।

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)

यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा 3000 किमी लंबा है और इसमें राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन शामिल हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के ढांचे के तहत, चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कोहाला पनबिजली परियोजना का निर्माण करेगा है। इसे झेलम नदी पर बनाया जायेगा। इसकी क्षमता 1,124 मेगावाट होगी।

CPEC का उद्देश्य पाकिस्तान के ग्वादर को रेलवे और राजमार्गों के नेटवर्क के माध्यम से चीन के झिंजियांग प्रांत से जोड़ना है।

भारत की चिंता

CPEC पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर क्षेत्र से होकर गुजरता है। CPEC के द्वारा से चीन ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अपनी सप्लाई लाइनों को छोटा करने की योजना बना रहा है। भारत के अनुसार इस क्षेत्र में चीन की व्यापक उपस्थिति हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को कम कर देगी।

चीन-पाकिस्तान संबंध

चीन लगातार दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान वर्तमान में दक्षिण एशियाई राजनीति में एक महत्वपूर्ण देश है।  ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद से पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध फीके पड़ गए हैं। धीरे-धीरे चीन और रूस द्वारा पाकिस्तान में कम होती अमेरिकी सहायता की पूर्ती का प्रयास किया जा रहा है।

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