Mission Gaganyaan : इसरो ने सॉलिड रॉकेट बूस्टर HS-200 का परीक्षण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर का सफल परीक्षण किया है।

यह परीक्षण कहाँ आयोजित किया गया?

यह परीक्षण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) में किया गया था।

HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर क्या है?

यह S200 रॉकेट बूस्टर का मानव-रेटेड संस्करण है। दो HS200 बूस्टर जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल MkIII (GSLV Mk III) के पहले चरण का हिस्सा होंगे, जिसका उपयोग गगनयान मिशन के लिए किया जाएगा। HS200 बूस्टर लिफ्ट-ऑफ के लिए थ्रस्ट की आपूर्ति करेंगे। इस प्रकार, हालिया परीक्षण आगामी गगनयान मिशन के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर है।

इसरो के मुताबिक इस परीक्षण के दौरान करीब 700 पैरामीटर्स पर नजर रखी गई और यह पाया गया कि ये सभी नॉर्मल थे। यह बूस्टर 203 टन ठोस प्रणोदक से भरा हुआ था और 135 सेकंड के लिए इसका परीक्षण किया गया।

HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर का महत्व क्या है?

यह ठोस प्रणोदक का उपयोग करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परिचालन बूस्टर है। इस बूस्टर में उपयोग की जाने वाली नियंत्रण प्रणाली में दुनिया के सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स में से एक का इस्तेमाल किया गया है।

HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर का विकास किसने किया?

इसे पिछले दो वर्षों में केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में डिजाइन और विकसित किया गया है। 

GSLV Mk-III

GSLV MK III रॉकेट, जिसे LVM3 के नाम से भी जाना जाता है, तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। पहला चरण ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है, दूसरा चरण तरल प्रणोदक का उपयोग करता है और तीसरा चरण तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन द्वारा संचालित क्रायोजेनिक चरण होता है।

गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?

पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने की भारत की स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन करना। गगनयान कार्यक्रम के तहत दो मानव रहित मिशन और एक मानवयुक्त मिशन चलाया जाएगा।

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