RBI ने मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान मॉडल संशोधित किया गया

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान मॉडल को संशोधित किया है। नया मॉडल यह कैप्चर करेगा कि कैसे राजकोषीय और मौद्रिक नीति वास्तविक अर्थव्यवस्था तत्वों के साथ बेहतर तरीके से इंटरैक्ट करती है।

नया मुद्रास्फीति पूर्वानुमान मॉडल

नया मॉडल तीन ब्लॉक में है। पहला ब्लॉक सरकार के प्राथमिक घाटे को संरचनात्मक और चक्रीय घटकों में बांटता है। इसे राजकोषीय ब्लॉक भी कहा जाता है। सरकार के घाटे में एक संरचनात्मक वृद्धि एक सकारात्मक उत्पादन अंतर पैदा करेगी। यह बदले में उधार को महंगा कर देगा और अंततः मुद्रा का मूल्यह्रास करेगा। इसका मतलब है कि देश उच्च मुद्रास्फीति का सामना करेगा। दूसरी ओर, चक्रीय झटका (cyclical shock) नगण्य है।

दूसरे ब्लॉक में भारत में मूल्य निर्धारण की जटिल प्रणाली शामिल है। इसमें डीजल और पेट्रोल जैसे आइटम शामिल हैं जिनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों, स्थानीय करों और विनिमय दरों के आधार पर तय की जाती है। इस ब्लॉक को फ्यूल ब्लॉक भी कहा जाता है।

तीसरा ब्लॉक है बैलेंस ऑफ पेमेंट (भुगतान शेष) ब्लॉक। यह ब्लॉक उन लागतों को पहचानता है जो विनिमय दर में अस्थिरता के साथ जुड़े हैं।

भारत में मुद्रास्फीति को कैसे मापा जाता है?

भारत में, मुद्रास्फीति को दो मुख्य सूचकांकों जैसे थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) का उपयोग करके मापा जाता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक उपभोक्ता वस्तुओं की टोकरी और खाद्य, परिवहन और चिकित्सा देखभाल जैसी सेवाओं की कीमतों के भारित औसत को मापता है। यह वस्तुओं की पूर्व निर्धारित टोकरी में प्रत्येक आइटम के मूल्य परिवर्तनों के औसत की गणना करके मापा जाता है। दूसरी ओर, थोक मूल्य सूचकांक को थोक स्तर पर कीमतों के आधार पर मापा जाता है।

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