नीति आयोग ने निजीकरण के लिए सरकारी बैंकों के नाम सौंपे

नीति आयोग ने उन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (Public Sector Undertaking – PSU) के नाम प्रस्तुत किए हैं जिनका  को निजीकरण किया जाएगा ।

मुख्य बिंदु

इन सभी सरकारी बैंको का वित्तीय वर्ष 2022 तक निजीकरण कर दिया जाएगा। धन जुटाने के लिएसरकार की विनिवेश प्रक्रिया के तहत यह निजीकरण किया जा रहा है ।

पृष्ठभूमि

दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण के केंद्र के उद्देश्य को बजट 2021-22 के दौरान उजागर किया गया था। सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों और बीमा कंपनी की पहचान करने का कार्य नीति आयोग को दिया गया था।

ये नाम किसने तय किए?

इस पैनल में नीति आयोग के सदस्य, आर्थिक मामलों के सचिव, व्यय सचिव, राजस्व सचिव, कानूनी मामलों के सचिव, कॉर्पोरेट मामलों के सचिव, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव और सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव शामिल हैं।

वैकल्पिक तंत्र (Alternative Mechanism)

कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज (Core Group of Secretaries) की मंजूरी के बाद अब ये नाम वैकल्पिक तंत्र (Alternative Mechanism) में मंजूरी के लिए जाएंगे। इसके बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा अंतिम मंजूरी दी जाएगी।

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks – PSB)

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुख बैंक होते हैं, जहां बहुसंख्यक हिस्सेदारी (50% और अधिक) केंद्रीय वित्त मंत्रालय या विभिन्न राज्य सरकारों के वित्त मंत्रालय के पास होती है। इसके शेयर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होते हैं। पीएसबी में काम करने वाले अधिकारी राजपत्रित अधिकारी होते हैं। 1955 में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के राष्ट्रीयकरण के बाद केंद्र सरकार बैंकिंग व्यवसाय में शामिल हो गई। 60% हिस्सेदारी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ली गई और नए बैंक का नाम “भारतीय स्टेट बैंक” रखा गया था।

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